वर्ष 2011 में उनके जीवन के 100 साल पूरे होने की ख़ुशी में बोहरा समाज में वर्षभर उनकी सालगिरह के सैंकड़ो आयोजन मुंबई,अहमदाबाद ,सूरत ,इंदौर,बेंगलोर ,हैदराबाद ,कोलकाता ,चेन्नई एवं दिल्ली ,लखनऊ ,पटना के अलावा देश के उन तमाम छोटे -बड़े शहरों में एवं विदेशो में अमेरिका ,कनाडा,लंदन ,स्पेन ,हांगकांग ,बंगलादेश ,श्रीलंका ,पाकिस्तान ,दुबई,शारजाह ,अबुधाबी ,अजमान,कुवैत ,मस्कट ,बहरीन,क़तर समेत अफ्रीकी देशों में मिस्र ,नैरोबी ,तंज़ानिया ,मेडागास्कर सहित अनेक देशों में बेशुमार कार्यक्रम आयोजित हुए।
मुंबई के इतिहास में पहली बार मरीन ड्राइव इलाके में समुन्द्र के किनारे से सैयदना की जश्न सालगिरह का जो शानदार जुलूस निकाला गया वहअद्भुत एवं अविस्मरणीय था। आम और खास में जो लोग इस जुलूस में शामिल हुए वे जीवन भर इस नज़ारे को भूल नहीं पाएंगे। इस धार्मिक आयोजन के साथ- साथ सामाजिक एवं शैक्षणिक स्तर के आयोजनों की भरमार रही। पांच दिनों तक मुंबई के भिंडी बाज़ार समेत अनेक जगहों पर जो कार्यक्रम हुए उनमें लाखों लोगों ने शिरकत की। और सैयदना साहब को उनके 100 वें मीलाद ,सालगिरह पर मुबारकबाद पेश की।
मुंबई शहर के नामचीन उद्योगपतियों एवं देश के प्रतिष्ठित राजनेताओं ने भी मुक़द्दस सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब को उनके घर सैफी महल जाकर उन्हें मुबारक बाद दी। और उनसे आशीर्वाद लिया। इसी साल लंदन में इलाज के दौरान सैयदना साहब ने दाई उल मुतलक़ के सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए अपने मन्सूस यानि उत्तराधिकारी की घोषणा कर सबको अचम्भित कर दिया। उन्होंने अपने दूसरे पुत्र शहज़ादा आलीक़दर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब को अपना उत्तराधिकारी बनाया। जिसकी सुचना उसी वक़्त पुरे विश्व में बसे बोहरा समाज के लोगों में दी गई। समाज ने इस खबर को सुनकर पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा पूर्वक खुशियां मनाई।
कुछ दिनों बाद मुक़द्दस सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब लंदन से स्वस्थ होकर 51 वें दाई और उनके वालिद मुक़ददस सैयदना ताहेर सैफुद्दीन रिद्वानुल्लाह अलैहे के 46 वें उर्स के मौके पर मुंबई तशरीफ़ लाए। उन्होंने उर्स की क़ुरान ख्वानी के बाद उर्स में शामिल हुए समाज के लाखों लोगों के मजमे में आधिकारिक तौर पर आलीक़दर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब पर नस का एलान किया। उन्हें 53 वें दाई के पद के लिए विधिवत अपना उत्तराधिकारी बनाया। इस मुबारक मौके पर जो लोग शामिल थे। वे बेहद खुशनसीब थे। जिन्हें इस ऐतिहासिक मंज़र को देखने का एवं मुक़द्दस सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब की ज़ुबानी उन्हें सुनने का सौभाग्य मिला।दुनिया की तमाम बोहरा मस्जिदों एवं मरकजों में इस कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया गया।